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योग संस्कृत के शब्द युज से निकला है, जिसका मतलब होता है दो या अधिक चीजों का आपस मे जुड़ना। यह एक शारीरिक क्रिया है, जो शरीर को शारीरिक व मानसिक संतुलन बनाए रखने में मदद करती है।
योग क्या है
योग एक प्रकार की प्राचीन शारीरिक व मानसिक क्रिया है। इसमें शरीर की लचीलता, शक्ति और सांस लेने की प्रक्रिया पर विशेष रूप से ध्यान केंद्रित करते हुए मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार किया जाता है। योग के सबसे मुख्य घटक आसन और सांस लेने की विशेष तकनीक होती है। योग के आसनों को योगासन कहा जाता है, जो विशेष शारीरिक मुद्राएं होती हैं। ये शारीरिक मुद्राएं या योगासन कुछ इस तरीके से तैयार किए जाते हैं, जिनका नियमित रूप से अभ्यास करने पर इनसे शरीर में लचीलापन और शक्ति बढ़ती है। पिछले कुछ वर्षों से दुनियाभर में योग की लोकप्रियता काफी बढ़ी है। कुछ लोग इसके आसनों को शरीर की लचीलता और शक्ति बढ़ाने के लिए करते हैं, जबकि अन्य लोग मानसिक तनाव और चिंता जैसे विकारों को दूर करने के लिए योग अपनाते हैं।योग का इतिहास
योग का सबसे पहला उल्लेख भारत के सबसे प्राचीन ग्रंथों में से एक “ऋगवेद” में देखने को मिलता है। प्राचीन संग्रहों के अनुसार “योग” शब्द संस्कृत शब्द “युज” से निकला है, जिसका मतलब “मिलना” या “जुड़ना” है। योग का जन्म भी लगभग 5000 हजार वर्ष पहले भारत में ही हुआ था और इसकी प्रभावशीलता के कारण यह धीरे-धीरे पूरी दुनिया में फैल गया। आजकल योग के कई नए आसनों और तकनीकों का निर्माण हो चुका है और पश्चिमी देशों में इसे “योगा” के नाम से जाना जाता है।योग के प्रकार
आज के समय में योग की प्रभावशीलता अधिकतर उसके आसनों पर ही निर्भर करती है, जिसमें व्यायाम, शक्ति, फुर्तीलापन और सांस लेने की तकनीक पर ध्यान दिया जाता है। योगासनों के अलग-अलग प्रकार मानसिक और शारीरिक क्रियाओं पर प्रभाव डालते हैं। योग के कई अलग-अलग प्रकार हैं, जिन्हें लोग अपनी शारीरिक फिटनेस और लक्ष्य के अनुसार चुनते हैं। इनमें निम्न शामिल हैं – अष्टांग योग – यह प्राचीन योग क्रियाओं में से एक है, जो सन् 1970 के दौरान काफी लोकप्रिय हो गया था। अष्टांग में कुछ ऐसी मुद्राओं और अनुक्रमों पर अभ्यास किया जाता है, जो शारीरिक गतिविधियों को श्वसन प्रक्रिया से जोड़ता है। बिक्रम योग – आजकल के समय में इसे “हॉट योगा” के नाम से भी जाना जाता है। आजकल इन योग मुद्राओं को करने के लिए तापमान को लगभग 105 डिग्री फारेनहाइट रखा जाता है और लगभग 40 प्रतिशत नमी रखी जाती है। बिक्रम योग में लगभग 26 योगासन और 2 श्वसन क्रियाएं शामिल हैं। हठयोग – इसमें योगासन करने की मुद्राएं व तकनीक सिखाई जाती हैं। संस्कृत में “हठ” शब्द का अर्थ बलपूर्वक अवरोध उत्पन्न करना होता है, जो हठयोग के प्रकार को संदर्भित करता है। आजकल कई देशों में हठयोग के लिए कक्षाएं भी शुरू की जा चुकी हैं, जिनमें योगासनों की सामान्य जानकारियां दी जाती हैं। अयंगर योग – योग अभ्यास के इस प्रकार में आमतौर पर अलग-अलग प्रकार के ब्लॉक, कपड़े, पट्टे व कुर्सी आदि का इस्तेमाल किया जाता है और इनकी मदद से सही संरेखण के साथ योग मुद्राएं बनाई जाती हैं। कृपालु योग – योग का यह प्रकार अभ्यासकर्ता को शरीर से जानने, स्वीकार करने और सीखने की कला सिखाता है। कृपालु योग करने वाला व्यक्ति अपने मन के भीतर झांककर अपने स्तर पर योग अभ्यास करना सीखता है। इसकी कक्षाएं आमतौर पर सामान्य स्ट्रेचिंग और ब्रीथिंग एक्सरसाइज से ही शुरू की जाती हैं। कुण्डलिनी योग – योग का यह प्रकार ध्यान लगाने की एक विशेष क्रिया है, जिसकी मदद से शरीर के अंदर दबी हुई ऊर्जा को मुक्त किया जाता है। यह योग विशेष जाप से शुरू किया जाता है, जिसके बाद इसमें योगासन, प्राणायाम और ध्यान क्रियाएं भी की जाती हैं। शक्ति योग – इसे पश्चिमी देशों में “पावर योगा” के नाम से जाना जाने लगा है। 1980 दशक के अंत में योग अभ्यासकर्ताओं ने पारंपरिक अष्टांग योग प्रणाली के आधार पर शक्ति योग का निर्माण किया था। शिवानंद योग – योग के इस प्रकार के अनुसार श्वास, विश्राम, आहार, व्यायाम और सकारात्मक सोच एक साथ मिलकर काम करती है, जिसे जीवनशैली में सुधार होता है। शिवानंद योग में 12 प्रकार के सामान्य योगासन किए जाते हैं, जिन्हें सूर्य नमस्कार से शुरू किया जाता है। विनियोग – विनियोग एक संस्कृत शब्द है, जिसका मतलब किसी भी चीज को उचित रूप से लागू करना या प्रयोग में लाना है। यह एक विशेष अनुशासन प्रणाली है, जो शरीर, श्वास, मन, व्यवहार, भावनाओं और प्राणों को आपस में जोड़ती है। यिन योग – इस योग में लंबे समय तक शरीर को निष्क्रिय मुद्रा रखकर अपना ध्यान केंद्रित किया जाता है। यिन योग में धीमी गति की गतिविधियां होती हैं और इसे पारंपरिक चीनी चिकित्सा प्रणाली को भी जोड़ा गया है। योग का यह प्रकार गहरे ऊतकों, लिगामेंट, जोड़ और हड्डियों के लिए काम करता है। प्रसव पूर्व योग – योग के इस प्रकार में ऐसे विशेष योगासनों को शामिल किया जाता है, जिन्हें गर्भवती महिलाओं को ध्यान में रखकर तैयार किया जाता है। प्रसव पूर्व योग की मदद से गर्भावस्था के दौरान महिलाएं अपने आप को स्वस्थ रख पाती हैं और बच्चे को जन्म देने के बाद फिर से फिट होने में भी उन्हें दिक्कत नहीं होती है। दृढ़ योग – यह योग की एक विश्राम विधि है, जिसमें लगभग पांच सामान्य योगासन होते हैं। इनमें आरामदायक कंबल, मैट व अन्य विशेष प्रकार के तकियों का इस्तेमाल किया जाता है, ताकि बिना किसी अड़चन के आप पूरी तरह से विश्राम अवस्था में चले जाएं।
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