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Cissus Quadrangularis, Hadjod – Plant

Original price was: ₹999.00.Current price is: ₹499.00.

Plant Specifications
Plant Height 7 inch (18 cm)
Plant Spread 3 inch (8 cm)
*above specification are indicative only. actual dimensions may vary by +-10%
Common Name Veld grape, devils backbone, adamant creeper, asthisamharaka, hadjod and pirandai.
Maximum Reachable Height 8 to 10 cm
Flower Colour Greenish
Bloom Time May-June
Difficulty Level Easy to grow
Planting And Care
Deadhead to prolong flowering.
Maintain moderate soil moisture and fertilize lightly.
plant will die with the first frost.
Cissus Quadrangularis Care
Growing plants can be inexpensive, particularly when growing them from seed. Seeds of plants flowers should usually be sown directly into the sunny flower bed, as developing roots do not like to be disturbed.

Sunlight Full Sun to Partial Shade
Watering Medium
Soil Well-drained soil
Temperature 110 degrees C .
Fertilizer Apply any organic fertilizer
Cissus Quadrangularis Special Feature
Cissus quadrangularis is a succulent vine from Africa and Asia. It is one of the most commonly used medicinal plants in Thailand, and is also used in traditional African and Ayurvedic medicine. All parts of the plant are used for medicine.

Cissus Quadrangularis Uses
Ornamental Use:

The plant is used for ornamental purpose
Medicinal Use:

It is one of the most commonly used medicinal plants in Thailand, and is also used in traditional African and Ayurvedic medicine
All parts of the plant are used for medicine
Cissus quadrangularis is used for obesity, diabetes, a cluster of heart disease risk factors called metabolic syndrome,and high cholesterol

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This Product Contains
SrNo Item name
1 Cissus Quadrangularis, Hadjod – Plant
2 5 inch (13 cm) Grower Round Plastic Pot (Black)
About Cissus Quadrangularis
Hadjod is botanically termed as Cissus quadrangularis. It is a perennial plant of the grape family. It belongs to the genus Cissus and family Vitaceae. It is probably native to India or Sri Lanka, but is also found in Africa, Arabia, and Southeast Asia.

आयुर्विज्ञान को प्राणो को बचाने का विशेष ज्ञान भी कहा जाता है इसे आयुर्वेद के नाम से भी जानते है आयुर्वेद यानि कि प्राणो का वेद इस रूप में भी देखते है हमारे ऋषि मुनियो ने आचार्यो ने पर्यटन कर ऐसी जड़ी बूटियों को खोज निकाला था जो 64 दिव्य जड़ी बूटी,वनस्पति है जिनके माध्यम से लगभग सभी बीमारियो को ठीक किया जा सकता है आयुर्वेदिक चिकित्सा के द्वारा रोग को पूर्णता के साथ समाप्त करने की क्षमता है आयुर्वेद के ग्रंथो में 64 दिव्य औषधियों का वर्णन मिलता है

अस्थि संहार

plant asthi sanharharjoda plant

आयुर्वेदिक लेप
हिंदी में इसको हर जोरा कहा जाता है गुजराती में बेदारी कहते हैं इसकी डालिया चौकोर होती है और शाखाएं भी चौकोर होती इसके फूल कुछ-कुछ गुलाबी रंग के होते हैं और कुछ पीच कलर लिए हुए होते हैं सबसे बड़ी

बात यह है कि इसकी डाल पर लाल रंग के मटर के आकार के फल लगते हैं इसके फलों को एकत्र करके नींबू के रस में घोटा जाए और घोटते-घोटते लगभग 4 घंटे हो जाएं

तो उसे गाढ़ा लेप बन जाएगा और यह गाढा लेप आयुर्वेद की दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण औषधि है अगर किसी व्यक्ति के शरीर में चाकू से या किसी अन्य चीज से

चमत्कारिक पेड़ -“अर्जुन “जो ह्रदय की बीमारी में लाभ देता है

चमडी या मास कट जाए तो उस कटे हुए स्थान पर अच्छी तरह से पौछकर कर उस पर उपरोक्त प्रकार से बनाया हुआ लेप लगाकर पट्टी बांधने से 24 घंटो के भीतर भीतर यह घाव पूरी तरह से भर जाता है और पट्टी

खोल कर हटा देने पर उस घाव का निशान भी शरीर पर नहीं रहता दूसरा प्रयोग यदि गिरने से या मारपीट से शरीर में अत्यधिक चोट पहुंची हो और यदि कोई हड्डी टूट गई हो तो उस टूटे हुए स्थान पर इसके बीजों को

पौछकर कर लगा दिया जाए तो 12 घंटों के भीतर भीतर वह हड्डी पूरी तरह से जुड़ जाती है और किसी भी प्रकार की कोई परेशानी नहीं होती |

thi sanhar

अन्य बीमारियों में लाभ

इसके अलावा शरीर किसी भी प्रकार से घायल हो गया हो या हड्डियों में सूजन आ गई हो या किसी प्रकार गिरने से कोई चोट या फैक्चर हो गया हो इन सभी स्थितियों में इन बीजों को पानी में घोटकर प्रत्येक आधे

घंटे के बाद 50 ग्राम पानी पिलाने से शरीर के सारे रोग समाप्त होकर दर्द पूरी तरह से दूर हो जाता है यह पानी 5 या 6 बार पिलाना चाहिए इसके फूल कामोत्तेजना देने वाले और कृमिनाशक होते हैं इसके अलावा

यह तिल्ली के रोगों और जलोदर आदि के रोगों को मिटाने में भी पूर्ण सहायक है इसके माध्यम से खूनी बवासीर और पेट से संबंधित कोई भी

दर्द को पूरी तरह से मिटाने में पूर्ण सक्षम है इतना ही नहीं इसके माध्यम से महिलाओं में अनियमित मासिक स्राव को भी दूर करने में यह औषधि

पूर्ण फायदेमंद है दमे की बीमारी में भी इसका प्रयोग रामबाण सिद्ध होता है यदि किसी की रीढ़ की हड्डी में किसी भी प्रकार दर्द या पीड़ा हो, ऐसी स्थिति में इस पौधे की कोमल शाखाओं

का बिछोना बनाकर गददे की तरह मोटा कर लें और उसके बाद उस पर लेट जाएं इससे रीड की हड्डी का दर्द पूरी तरह समाप्त हो जाता है है डायबिटीज और ब्लड प्रेशर में इसका प्रयोग करने से बहुत लाभ मिलता है

इसके द्वारा लकवा घटिया आदि लोगों को भी दूर करने में पूर्ण सहायता मिलती है अतः इस अवसर जी को 64 दिव्य जड़ी बूटियों में स्थान प्राप्त है सबसे बड़ी बात यह है तीन औषधियों का कोई साइड इफेक्ट तो नहीं है

वास्तव में प्रकृति की ओर से मनुष्य के लिए यह जड़ी वरदान स्वरुप जैसी है

Weight 1 kg
Dimensions 42 × 12 × 12 cm
Unit

Barrel, Bottle, Box, Carat, Carton, Cubic Feet, Cubic Meter, Dozen, Foot, Inch, Kilogram, Kilowatt, Liter, Megawatt, Meter, Pair, Piece, Roll, Watt