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kala ankol ( काला अंकोल )

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आयुर्विज्ञान को प्राणो को बचाने का विशेष ज्ञान भी कहा जाता है इसे आयुर्वेद के नाम से भी जानते है आयुर्वेद यानि कि प्राणो का वेद इस रूप में भी देखते है हमारे ऋषि मुनियो ने आचार्यो ने पर्यटन कर ऐसी जड़ी बूटियों को खोज निकाला था जो 64 दिव्य जड़ी बूटी,वनस्पति है जिनके माध्यम से लगभग सभी बीमारियो को ठीक किया जा सकता है आयुर्वेदिक चिकित्सा के द्वारा रोग को पूर्णता के साथ समाप्त करने की क्षमता है आयुर्वेद के ग्रंथो में 64 दिव्य औषधियों का वर्णन मिलता है

अंकोल

पूरे भारत में यह पेड बहुत काम देखने को मिलता है सबसे ज्यादा यह पेड अरावली और मध्य प्रदेश की पहाड़ियों में देखने को मिलता है इसकी उचाई पच्चीस फुट से लेकर चालीस फुट तक की होती है इसकी शाखाओं

का रंग कुछ सफेद सा होता है इस पेड की छाल तन और जड़ से विष निवारक औषधि बनायीं जाती है यदि इसकी जड़ को पानी में घिसकर सर्पदंश व्यक्ति के मुंह में डाल दी जाय तो उसका जहर तुरंत समाप्त हो

जाता है इसकी एक और विशेषता यह है कि यदि इसकी जड़ को नीबू के रस के साथ घिसकर वह घोल आधा चम्म्च सवेरे और आधा चम्म्च शाम को भोजन से दो घंटे पूर्व दिया जाए तो मात्र तीन दिनों में ही भयंकर से

भयंकर दमा ठीक हो जाता है दमे को दूर करने मिटाने में इसके सामान और कोई औषधि कारगर नहीं है ।

इसके जड़ की छाल का चूर्ण एक माशा काली मिर्च के साथ लेने से बवासीर खत्म हो जाता है ।

इसके जड़ की छाल ,जायफल ,जावित्री , लौंग -प्रत्येक का पांच पांच रत्ती लेकर ,चूर्ण करके नित्य लिया जाय तो किसी प्रकार का कोढ़ एक सप्ताह में ही समाप्त होने लगता है । अंकोल का तेल तो चमत्कारिक प्रभाव

दिखाने में सक्ष्म है इसके तेल की पांच बूंदे शक्कर मिलाकर गर्म दूध में डालकर मात्र तीन दिन तक पिलाने से ही शरीर बलवान बन जाता है ।

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Weight 1.5 kg
Dimensions 42 × 12 × 12 cm